Sunday, July 31, 2011

यादों में तो है प्लूटो



76 साल तक सौरमंडल का सदस्य रहने के बाद प्लूटो से ग्रह का दर्जा छीन लिया गया। सौरमंडल का नौ ग्रहों वाला गणित ही बदल गया, लेकिन उन लोगों के मन से नहीं निकलेगा, जो अब तक सौरमंडल को नौ ग्रहों वाला मानते आए हैं। ज्योतिषियों ने इसे हल्के से लिया है। उनके नक्षत्रशास्त्र पर इसका असर नहीं होगा

प्लूटो अब ग्रह नहीं रह गया, दुनियाभर के जाने-माने खगोलविदों का लिया गया यह फैसला चर्चा का विषय है। किताबों और जनमानस में स्थापित मान्यता के अचानक बदल जाने का प्रभाव स्कूलों और कालेजों के विद्यार्थी पर भी दिखाई दिया। छात्रों में यह जानने की उत्सुकता बनी रही कि इस निर्णय को कैसे लागू किया जाएगा। शिक्षाविदों का मत है कि बचपन से प्लूटो को ग्रह के रूप में मानते आए लोगों के मन से यह जल्दी नहीं निकल सकेगा। आम लोग आठ ग्रह रह जाने के बाद ज्योतिष मान्यताओं पर असर जानने में लगे रहे।

खगोलविज्ञान के शोध छात्रों के लिए यह घटना महज भूमिका बदलने जैसी है। एक छात्र का कहना था कि साइंस जितना विकास करता है, पुरानी अवधारणाएं बदल रहती हैं। यही प्लेटो के साथ हुआ है। प्राग सम्मेलन में हिस्सा लेकर लौटे खागोलशास्त्री डा. एसके पांडे ने बताया कि प्लूटो के ग्रह का दर्जा नए मापदंडों के आधार पर खत्म किया गया है। बुध के आकार (2880 किमी) को मानक मानकर अब किसी आकाशीय पिंड के ग्रह होने और नहीं होने का निर्धारण किया जाएगा। इस लिहाज से प्लूटो का साइज बुध की तुलना में आधा है। अब इसकी गिनती सौर परिवार के प्लूटान समूह में होगी।

प्लूटो ग्रह नहीं रहा, यह बात सबसे पहले स्कूलों के पाठ्यक्रम को भी प्रभावित करेगी। शिक्षाविदों का मानना है कि साइंस में अंतरिक्ष विज्ञान की बेसिक पढ़ाई कक्षा चौथी से शुरू हो जाती है। चौथी से बारहवीं तक, साइंस की सभी किताबों में इस बात का जिक्र है कि प्लूटो नवां ग्रह है। प्राग के फैसले के बाद निश्चित रूप से पाठ्यक्रम बदलने होंगे, क्योंकि सौरमंडल में नौ ग्रह बताना अब सही नहीं रहेगा। पाठ्य पुस्तक निगम के एक आला ओहदेदार ने कहा कि निश्चित ही अंतरिक्ष से जुड़े पाठों में बदलाव आएगा, लेकिन अभी ये देखा जा रहा है कि प्राग में खगोलविदों द्वारा लिए गए फैसले को शेष विश्व अकादमिक रूप में किस नजरिए से देख रहा है।

ज्योतिषविदों का कहना है कि प्लूटो की मान्यता भारतीय नक्षत्रशास्त्र में नहीं है, इसलिए ज्योतिष की गणना पर इस निर्णय कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। पं. चंद्रशेखर दत्त त्रिपाठी के अनुसार जन्म पत्री आदि बनाने में सूर्य, चंद्र, भौम, बुध, गुरु, शुक्र शनि, राहु और केतु ग्रहों को आधार बनाया जाता है। प्लूटो इनमें कहीं नहीं है।

तय हुआ प्लेनेट का स्टैंडर्ड
खगोलविदों ने बताया कि ब्रह्मांड में ग्रहों जैसे पिंडों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसी स्थिति में कौन सा पिंड ग्रह होगा और कौन सा नहीं, इसका निर्धारण करना मुश्किल होता जा रहा था। इस बार अंतरराष्ट्रीय खगोल संघ का सम्मेलन इसी समस्या पर केंद्रित रही। सम्मेलन के शुरू में नौ के स्थान पर 12 ग्रहों का प्रस्ताव लाया गया,  लेकिन इसके उत्तरार्द्ध में खगोल वैज्ञानिकों ने आम सहमति से ग्रहों के मानक तय कर डाले। यही वजह रही कि ग्रहों की संख्या बढऩे के बजाए एक कम हो गई।

प्लेनेट बनने के लिए क्या जरूरी
0 सौर परिवार का सदस्य होना आवश्यक है।
0 खगोलीय पिंड सूर्य की परिक्रमा करता हो।
0 अन्य ग्रहों की तरह गोलाकार और आकार में बड़ा हो
0 अन्य ग्रहों के साथ साम्य अवस्था हो।
0 परिक्रमा तल एक ही होना चाहिए।

प्लूटो का परिचय
सौर परिवार का सबसे दूर के सदस्य प्लूटो से सूर्य तारे के समान टिमटिमाता दिखाई देता है, अर्थात खगोलविदों की नजर में इस ग्रह पर पूरा अंधकार है। सूर्य से 5910 मिलियन किमी दूर होने से इसका वातावरण ठंडा है। प्लूटो का औसत तापमान शून्य से 230 डिग्री सेल्सियस कम है। प्लूटो पर सूर्य का प्रकाश पहुंचने में 328 मिनट लग जाते हैं। गौरतलब है कि पृथ्वी तक सूर्य का प्रकाश आने में करीब साढ़े आठ मिनट लगते हैं। यह सूर्य की एक परिक्रमा 350 वर्ष में लगता है। अपने अक्ष पर उसे चक्कर लगाने में छह दिन, नौ घंटे और 17 मिनट लगते हैं।
    
प्रतिनिधित्व
ब्रह्मांड के विस्तार को लेकर पैदा हुए सवालों पर चेक गणराज्य के प्राग सम्मेलन में रविवि की भी भागीदारी रही। इसमें एस्ट्रोफिजिक्स डा. पांडे ने विकासशील देशों में खगोलीय अध्ययन की समस्याओं पर पेपर प्रस्तुत किया। इसमें उन्होंने रविवि में खगोल भौतिक के अध्ययन को आधुनिक उपकरणों से लैस करने पर जोर दिया।

- क्षुद्रग्रहों केरान, शेरस और यूबी-313 को मिलाकर 12 ग्रहों वाले सौरमंडल का की बात लंबे समय से चल रही है। प्राग में इस माडल को खारिज कर खगोलविदों ने काफी पुराने विवाद पर विराम लगा दिया। ग्रहों संबंधी नए मानकों के निर्धारण के बाद प्लूटो के ग्रह का दर्जा भी समाप्त कर दिया गया। इसे ग्रहों नए सिरे से निर्धारण माना जाना चाहिए।

1 comment:

  1. न जाने कितनों की तकदीर बदलने वाली है.

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