Friday, July 22, 2011

स्कूल ने बदली बस्ती की फिजा



संस्कारों वाली शिक्षा के प्रसार से क्राइम रेट घटा. जनभागीदारी से हुई खस्ताहाल स्कूल की कायापलट. शासकीय स्कूल में इंग्लिश मीडियम की पढ़ाई

सट्टा, जुआ समेत तमाम छोटे-बड़े अपराधों के लिए कुख्यात शहर के त्रिमूर्तिनगर इलाके की तस्वीर यहां के एक सरकारी स्कूल ने बदलकर रख दी है। गरीब-मजदूरों के बच्चे अंग्रेजी में बोल सकते हैं। खुद शरारत छोड़ बच्चे अपने माता-पिता और पड़ोंसियों को अच्छे जीवन का पाठ पढ़ा रहे हैं। यही वजह है कि बस्ती के अपराध का ग्राफ 105 से घटकर 20 रह गया। पिछले एक डेढ़ साल में आए इस बदलाव को स्थानीय लोग कीचड़ में कमल खिलने की संज्ञा देते हैं।
इस सकारात्मक बदलाव के पीछे जनभागीदारी से किए गए इंतजाम की महत्वपूर्ण भूमिका है। उनके प्रयास से एक शिक्षक वाले प्राइमरी स्कूल को मीडिल तक विस्तार दिलाया। निजी तौर पर इंग्लिश मीडियम की पढ़ाई के लिए चार शिक्षक रखे गए। पढ़ाई के रोचक तरीकों से बच्चों की दर्ज संख्या बढऩे लगी। 15 बच्चों के पैरेंट्स ने प्राइवेट स्कूल छोड़कर यहां एडमिशन दिलाया। आज वहां कुल 166 बच्चे बढ़ते हैं। तीन-चार को छोड़कर सभी रिक्शा वाले या रोजी मजदूरी करने वालों के बच्चे हैं। क्वालिटी एजुकेशन के इंतजाम किए गए हैं। लाइब्रेरी में प्रेरणादायक पुस्तकों के अलावा मनोरंजक तरीके से पढ़ाई की सामग्री उपलब्ध कराई गई है।

स्कूल बैंग और किताबें
स्थानीय पार्षद जग्गू सिंह ठाकुर ने बताया कि त्रिमूर्ति नगर स्कूल की हालत देखकर काफी बुरा लगता था। इन बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले इसलिए वहां निजी तौर पर स्कूल खोलने के बजाए शासकीय स्कूल को गोद लिया गया। यहां बिना किसी शासकीय मदद के बच्चों की हर सुविधा का ध्यान रखा गया है। सीबीएसई पैटर्न में पढ़ाई संभव हो ऐसे इंतजाम किए गए। विशेष मौकों पर आगे कोशिश है कि इसे हाईस्कूल और हायर सेकंडरी का दर्जा दिलाया जाएगा।   
 

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